Friday, February 23, 2018

हमारा बचपन (उम्र:0-5):
बचपना भी क्या गजब था, जो खिलौना पसंद हो तो वो मांगने पे मिल जाता था
जब से बड़े हो गए तब से सब कुछ ख़तम अब सिर्फ जरूरते पूरी हो रही बस
खुल के रो भी नहीं पा रहे ये सोच के कि लोग पूछने लगेंगे कि क्या बात है
बचपन में तो बिना बात के ही रो लेते थे
अगर भगवान् वरदान दे तो मै फिर से अपना बचपना मांग लूंगा
बचपन कि बहुत याद आती है
बड़ा जिद्दी था लोग ऐसा बताते है, कोई चीज मांगू तो मिल ही जाता था
लेकिन एक चीज़ खास है कि मै साल दर साल बड़ा होता चला गया, परिवार कि मोहब्बत आज भी उसी तरह है जो कि मैंने महसूस किया है बहुत करीब से I
   



मै जब बड़ा हुवा तो स्कूल का दौर शुरू हुवा फिर तो जो हुवा आज तक लेके घूम रहे है साथ साथ 

मोहब्बत मेरा साथ नहीं छोड़ रही बाकि इंसान का कोई भरोसा नहीं



आप अपना सन्देश हमे भेजते रहिये अगर ऐसा कुछ महसूस किया है तो
 

By- Shubham srivastava 

Thursday, February 22, 2018


अभी तक जिंदगी को मैंने जिस तरीके से महसूस किया है वो मै आपके साथ शेयर कर रहा हूँ,
उम्मीद करता हूँ की आपके साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा होगा या हुवा होगा I 


इन सब में एक चीज है जो सब में मिलेगा
 "मोहब्बत" 
मोहब्बत की कुछ लाइन है अर्ज करते है, 
"मोहब्बत जहां है वहा ज़िन्दगी है 
मोहब्बत जिसे बक्श दे जिंदगानी 
नहीं कोई इंसान मोहब्बत से खाली
मोहब्बत की है दासता ज़िन्दगी 
मोहब्बत ना हो तो कहा ज़िन्दगी 
मोहब्बत तो एक जावेदा ज़िन्दगी है "

इसलिए आप सब लोग जिंदगी को प्यार मोहब्बत से गले लगाइये
मन में किसी के  लिए बैर रख के कुछ हासिल नहीं होना है

जाना सब को एक ही जगह है तो क्यों न मोहब्बत से जाये 



By- Shubham srivastava 
22-02-2018