Wednesday, December 12, 2018

"मेरे गले की राग " By Shubham Srivastava

मेरे गले की 'राग'

जब से उससे बिछड़ा हु अक्सर रात में नींद टूट जाती है I 
वो पुरानी बात फिर से याद आती है I 
जो वादे किये थे उसने, हमसे बिखरे हुवे नज़र आते है I 
"काश" एक बार फिर से वो रात आती,
वो मुझसे बात करती और फिर मुझको नींद आती II

सोने की कीमत सोने से ज्यादा होती है
एक रात जगा तो खबर पड़ी
शुकुन सोने की चैन पा कर भी न मिली
जो शुकून चैन से सोने पर मिली

दूर होकर भी कोई पास रहता है,
दिल में मेरे कोई जरूर रहता है।
मुझे शक है कि, वो राग है,
जो मेरे रगो में गूंजता रहता है।।

काश के मैं न उससे मिलता,
न उससे कुछ बातें करता
न ही उसकी याद आती
और न ही उसको मेसेज करता
 (21/02/2019)






Date:-26/05/2019 23:23                                                                       written by-Shubham Srivastava





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