Sunday, January 5, 2020

मेरे गले की राग By Shubham Srivastava

मेरे गले की राग

3 बजे रात को जब नींद सताती है 
अक्सर तू ही मेरे ख्यालों में आ जाती है 
सोचता हु तुझे भूलकर आँखे बंद कर लू 
पर तू है जो मेरे ख्वाबो में भी चली आती है

याद आ जाती है दौरान ए रोज 
दिल कल भी वही था आज भी वही है 
महसूस करता है रोज 
मैं कल भी वही था आज भी वही हूँ 
बस थोड़े बदल गए है लोग 
फिर कोशिश हमने भी की पर बदल न पाए 
क्युकी अपनी नज़रो में हम गिर न पाए
खुद की नज़रो में अपनी इज्जत करते गए
तुम तो याद आते ही थे और करीब आते गए

जिंदगी का कल क्या होगा 
ये किसी ने नहीं देखा है 
ज़रा मोहब्बत से रहो लोगो 
कल न तुमने देखा है न हमने देखा है
गुस्से में तो सिर्फ खून जलता है 
कभी मुस्कुराकर तो देखो 
चहरे का नूर बढ़ता है 
By-Shubham Srivasatava                                                                                          Date-05/01/2020

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