Thursday, November 19, 2020

आनंद - गुजरात, गुलाब सलाट की कहानी मेरे गले की राग की जुबानी


कलाकार को मंच के लिए रंज का सामना करना पड़ता है, 
ऐसा ही कुछ हुवा गुलाब सलाट के साथ, कठिन परिस्थितयों में भी हार नहीं मानी और आज सफलता के तरफ अग्रसर है 


     एक्शन करते हुवे गुलाब सलाट

जब किसी लक्ष्य की प्राप्ती के लिए आप के अंदर जुनून हो तो बड़ी-बड़ी सी बाधा भी आपको आपके लक्ष्य से रोक नहीं सकती है। यही वजह है कि कई ऐसे नाम हैं जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कामयाबी की उस मंजिल को छुआ है जहां से उनको अपनी एक अलग पहचान मिली है। इसी कड़ी में एक नाम है गुलाब सलाट का। गुलाब सलाट आनंद के रहने वाले हैं जो गुजरात में है। गुलाब ने गरीबी की ऐसी मार झेली है जिसके बारे में सोच कर ही हौसले पस्त हो जाते हैं, बावजूद इसके इन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और अपने सपने को साकार करने के लिए दिन-रात कोशिश करते रहे जिसका नतीजा यह रहा कि गुलाब सलाट ने भले ही पूरी तरह कामयाबी की मंजिल को अभी नहीं छुआ हो लेकिन मंजिल तक पहुंचने की राह जरूर पकड़ ली है। गुलाब सलाट का जन्म 20 सितंबर 1984 को हुआ। गुलाब के पिता ने मजदूरी करके अपने बच्चों की परवरिश की है। गुलाब जब सिर्फ 8 वर्ष के थे तभी से उनके अंदर कुछ ऐसा करने का जुनून पैदा हुआ जिससे ना सिर्फ उनको एक अलग पहचान मिले बल्कि घर की गरीबी भी दूर हो। और फिर क्या था गुलाब के पिता तम्मा भाई सलाट ने गुलाब की रूची को ध्यान में रखते हुए उनका नामांकन एक ऐसी एकेडमी में करवा दिया जहां मार्शल आर्ट सिखाया जाता था।

गुलाब ने वहीं से वह राह पकड़ी जिसपर चलकर कामयाबी की मंजिल तक पहुंचने का सफर आज भी जारी है। गुलाब ने मार्शल आर्ट में अब तक कई उपलब्धियां अर्जित की हैं। इतना ही नहीं गुलाब सलाट को स्टंट करने का भी बड़ा शौक रहा है, और यही वह शौक है जिसके सहारे वह बॉलीवुड में कदम रखना चाहते थे और कुछ हद तक ही सही इसमें उन्हें कामयाबी भी मिली है। गुलाब के इस जुनून में उनके पिता का भी भरपूर साथ रहा है। गुलाब के पिता का सपना था कि उनका बेटा बॉलीवुड में कामयाबी का झंडा बुलंद करे जिसके लिए गुलाब की कोशिशें जारी है।

गुलाब ने स्टंट और ब्रेक डांस में भी महारत हासिल की है। इसके लिए उन्होंने हैदराबाद में ट्रेनिंग भी ली है। गुलाब ने अपनीकामयाबी की तलाश में मुंबई की मायानगरी का भी रुख किया लेकिन यहां उन्हे ठगी का शिकार होना पड़ा। इससे आहत होकर गुलाब सलट को फिर से वापिस गुजरात के आनंद का रुख करना पड़ा। पर गुजरात वापिस लोटने के बाद गुलाब के पिता का देहांत हो गया जिससे गुलाब पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। एक पल के लिए गुलाब सलाट की तो हिम्मत जवाब देने लगी क्योंकि घर की गरीबी और पिता के देहांत से यह पूरी तरह टूट चुके थे, फिर भी इन्होंने हिम्म्त नहीं हारी और अपनी कोशिशों को जारी रखा। हालांकि गुलाब को अपनी गरीबी की वजह से बीच में ही पढ़ाई छोड़नी पड़ी और वह सिर्फ आठवीं तक ही पढ़ाई कर पाए। पिता की मृत्यु के बाद पूरे परिवार की जिम्मेदारी गुलाब के कंधों पर आ गई। मां के अलावा दो बहनों और दो भाईयों की परवरिश करना गीरबी में आसान नहीं था फिर भी गुलाब ने हिम्मत नहीं हारी। क्योंकि मार्शल आर्ट में गुलाब ने महारात हासिल कर ली थी इसलिए उन्हेंने मार्शल आर्ट सिखा कर कुछ पैसे कमाए और फिर परिवार को भी चलाया। साथ ही गुलाब ने छोटे-छोटे मौकों पर डांस परमॉर्मेंस करके भी परिवार और अपने लिए कुछ पैसे जुटाए। लेकिन गुलाब का ल्क्ष्य तो कुछ और ही था, उन्होंने मुंबई के अलावा बैंगलुरू, हैदराबाद, चेन्नई, दिल्ली यहां तक की कोलकाता जैसे बड़े शहरों में जाकर फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाने की कोशिश की पर बहुत ज्यादा कामयाबी नहीं मिली।

पर कहा जाता है ना कि, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती और कभी ना कभी उसे कामयाबी जरूर मिलती है, गुलाब के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। आखिरकार गुलाब सलाट को ‘जय जय जग जननी दुर्गा मां’ सीरियल में काम मिल गया जिसका प्रसारण कलर्स चैनल पर हो रहा था। फिर क्या था यहां से गुलाब के लिए रास्ते खुलने शुरू हो गए। गुलाब को सहारा वन पर प्रसारित होने वाले सीरियल ‘जय जय बजरंगबली’ में काम मिल गया। अब मानों यहां से गुलाब के सपने साकार होने लगे। गुलाब सलाट को एक दो नहीं कुल ग्यारह गुजराती फिल्मों में छोटे-बड़े रोल मिलते गए जिसमें कई रोल तो स्टंट के थे जिसने गुलाब को एक अलग ही पहचान दे दी। गुलाब सलट को बॉलीवुट की दो फिल्मों और दो भोजपुरी फिल्मों में काम मिल गया। इसके बाद तो मानों गुलाब सलट के लिए सारे दरवाजे खुलते चले गए और उन्हें एक के बाद एक कई फिल्मों में काम मिलते गए। इसके साथ ही गुलाब ने कई एलबम्स और शॉर्ट फिल्मों में भी काम किया है। गुलाब को जैसे जैसे कामयाबी मिलने लगी उनका हौसला और भी बढ़ने लगा। गुलाब को जो अब तक कामयाबी मिली है इसका श्रेय वह अपने पिता को देते हैं। उनका कहना है कि…पिता ने अगर उनका हौसला ना बढ़ाया होता तो शायद यह सब मुमकिन नहीं था। हालांकि गुलाब सलाट का यह भी मानना है कि उन्हें अभी और भी बहुत लम्बा सफर तय करना है जिसके लिए उनकी कोशिशें लगातार जारी हैं। गुलाब सलाट को विश्वास है कि उनके अंदर का जुनून और उनकी कड़ी मेहनत उन्हें एक दिन स्टार जरूर बनाएगा और उनको ना सिर्फ उनके शहर या राज्य में पहचान मिलेगी बल्कि देश-दुनिया में भी लोग उन्हें जान पाएंगे।


published by Shubham Srivastava                                                                         19/11/2020 11:00 pm

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