Saturday, May 9, 2020

मै क्या सोचती हु तुम जान जाते


मेरे गले की राग 

जो लहरों  के आगे  तुम देख  पाते 
मै क्या सोचती  हु तुम जान जाते
कदम वो कदम जो तुम साथ आते 
मै क्या सोचती  हु तुम जान जाते,

मेरी आँखों के रंगो को पहचान जाते
तो उन रंगो को बाटने तुम साथ आते 
जो सपनो में मेरे तुम झाँक लेते  
मै क्या सोचती  हु तुम जान जाते,

अपनी आँखों का परदा जो हटा लेते 
तो साथ तेरा उम्र भर निभा देते
जो राहों  को मेरी पहचान जाते
 मै क्या सोचती  हु तुम जान जाते,


जो चमकते तारे  तुम पहचान  पाते
मेरी उड़ानों  को तुम जान पाते
तुम अपनी जिद को पहचान पाते
मै क्या सोचती  हु तुम जान जाते

Written by - Shurabhi Srivastava                                                    Published By- Shubham Srivastava 

Friday, May 8, 2020

हवा चाहे जिधर की हो, उड़ाने नहीं रुकती जहाज़ों के By- Shubham Srivastava

मेरे गले की राग

हवा चाहे जिधर की हो,
उड़ाने नहीं रुकती जहाज़ों के,

गति में जिसकी हो तेजी
हौंसला देखो ऐसे बाज़ों की,

ना राहों से कभी भटके
ना कांटो से कभी डरते,

उड़े जब जब हवाओं में
न ही रूकते न ही थकते,

हवाओं के सहारे से
बहुत देखे पतंग उड़ते,

निराशा उनको होती है
जो कोशिश भी नहीं करते।।

भरी है हमने भी इस बार
कई उड़ानें समंदर पार

जो छूटे थे मेरे अपने
मिलेंगे सब के सब इस बार


written by - shubham srivastava

मेरे गले की राग "MAA"

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