Friday, May 8, 2020

हवा चाहे जिधर की हो, उड़ाने नहीं रुकती जहाज़ों के By- Shubham Srivastava

मेरे गले की राग

हवा चाहे जिधर की हो,
उड़ाने नहीं रुकती जहाज़ों के,

गति में जिसकी हो तेजी
हौंसला देखो ऐसे बाज़ों की,

ना राहों से कभी भटके
ना कांटो से कभी डरते,

उड़े जब जब हवाओं में
न ही रूकते न ही थकते,

हवाओं के सहारे से
बहुत देखे पतंग उड़ते,

निराशा उनको होती है
जो कोशिश भी नहीं करते।।

भरी है हमने भी इस बार
कई उड़ानें समंदर पार

जो छूटे थे मेरे अपने
मिलेंगे सब के सब इस बार


written by - shubham srivastava

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